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लेखनी कविता - कौआ और कोयल - बालस्वरूप राही

कौआ और कोयल / बालस्वरूप राही


कौआ और कोयल काली,
पर कोयल की बात निराली।
कोयल मीठे गीत सुनाती,
इसीलिए दुनिया को भाती।
कांव-कांव का शोर मचाते,
कोओं को सब दूर भगाते।

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